लखनऊ बनाम लखनपुर
• rashtra kinkar
लखनऊ बनाम लखनपुर
गोमती के तट पर स्थित लखनऊ कभी कौशल राज्य का हिस्सा था। रामजी ने यह भाग अपने अनुज लक्ष्मण को दिया था इसीलिए इसे लखनपुर या लक्ष्मणपुर के नाम से जाना जाता है। मुगल काल में नाम बदलने को जो सिलसिला शुरु उसी में लखनपुर को लखनऊ कर दिया गया। अवध के नवाब ने इसे अपनी राजधानी बनाया तो 1850 में अवध के वाजिद अली शाह ने ब्रिटिश अधिनियमित स्वीकार कर इसके ब्रिटिश इण्डिया का हिस्सा बनने का रास्ता खोल दिया। यह विशेष उल्लेखनीय कि अवध के नवाबों के सामाजिक राजनैतिक विवेक एवं संवेदनहीनता पर प्रख्यात साहित्यकार मुंशी प्रेमंचद की बहुचर्चित कहानी ‘शतरंज के खिलाड़ी’ पर सुविख्यात निर्माता निर्देशक सत्यजीत राय ने इसी नाम से फिल्म भी बनी। काकोरी कांड में जिस महान स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल को फासी दी गई वे इसी लखनऊ जनपद के थे।
समृद्ध विरासत जुड़े लखनऊ के लिए एक कवि ने कहा है-
लखनऊ है तो महज़ गुम्बद-ओ-मीनार नहीं,
सिर्फ एक शहर नहीं, कूचा-ओ-बाज़ार नहीं,
इसके दामन में मोहब्बत के फूल खिलते हैं,
इसकी गलियाँ में फरिश्तों के पते मिलते हैं।।
कभी नवाबों की नगरी कहा जाने वाला लखनऊ सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी बनकर आज प्राचीन और सर्वसुविधा संपन्न आधुनिकता का रूप है। कभी अंग्रेजों ने देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी और फारसी लिपि वाली उर्दु को एक ही भाषा बताया था उसका जीवंत उदाहरण लखनऊ है। कल बृजनारायण चकबस्त, ख्वाजा हैदर अली आतिश, विनय कुमार सरोज, आमिर मीनाई, मिर्ज़ा हादी रुसवा, नासिख, दयाशंकर कौल नसीम, मुसाहफ़ी, इनशा, सफ़ी लखनवी, मीर तकी मीर जैसे स्वनाम धन्य उर्दू शायरों का ठिकाना रहा यह शहर आज हिंदी साहित्य को समृद्ध करने वाले भगवती चरण वर्मा, श्रीलाल शुक्ल, डॉ. कुमुद नागर, डॉ. अचला नागर, वजाहत मिर्ज़ा (मदर इंडिया एवं गंगा जमुना के लेखक), अमृतलाल नागर, अली सरदार जाफरी, व्यंग्यकार के पी सक्सेना जैसे अनेकानेक विभूतियों के कारण भी जाना जाता है। हिंदी और भारतीय भाषाओं के उन्नयन के लिए देश का सर्वाधिक सक्रिय संगठन उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ में ही स्थित है। मुझे 2018 में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा आयोजित समारोह में सौहार्द सम्मान ग्रहण करने जाने का अवसर मिला तो लखनऊ को निकट से देखने का अवसर मिला।
चंद्रिका देवी मंदिर - गोमती नदी के तट पर स्थित 300 वर्ष प्राचीन इस मंदिर में देवी चंडी की तीन सिरों वाले मूर्ति है। नवरात्रि में यहां बहुत चहल-पहल रहती है।
राम मनोहर लाहिया पार्क - लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित यह पार्क महान स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी नेता डॉ राममनोहर लोहिया जी को समर्पित है। इस विशाल पार्क में जॉगिंग ट्रैक, एक प्रेशर ट्रैक, एक झील, एक मछली और एक बट़ाख तालाब, झूले और बेंच, एक एम्फीथिएटर, एक फूल उद्यान और एक खुला हुआ व्यायाम क्षेत्र है।
जनेश्वर मिश्र पार्क - गोमती नगर स्थित समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्रा की स्मृति में बने एशिया महाद्वीप के इस सबसे बड़ा पार्क को लंदन के हाइड पार्क का प्रतिरूप कहा जाता है। 375 एकड़ के इस पार्क के 40 एकड़ में कृत्रिम झील है जहां बोटिंग की सुविधा उपलब्ध है। यहां स्थापित वायुसेना का मिग 21 विशेष आकर्षण का केन्द्र है। लखनऊ में इस बहुचर्चित पर्यटक स्थल को देखने के लिए भारी भीड ़उमड़ती है।
अम्बेडकर पार्क -लखनऊ के डालीगंज में स्थित यहां का आकर्षण है। इस हरे-भरे पार्क के अंदर हाथी की अनेक मूर्तियाँ हैं इसलिए यह हाथी पार्क के नाम से भी जाना जाता है। यहां बच्चों के लिए अनेक प्रकार के झूले, स्लाइड, सवारी आदि बहुत कुछ हैं।
इंदिरा गांधी तारामंडल - बाहर से देखने में शनि ग्रह जैसे इस तारामंडल में उच्च तकनीक प्रक्षेपण प्रणाली की मदद से ब्रह्मांड के आश्चर्याे को देखा-समझा जा सकता है। विद्यार्थियों को खगोलीय पिंडों के बारे में व्यवहारिक जानकारी देने वाला यह स्थल नगर की श्रीवृद्धि करता है।
साइंस सिटी - अलीगंज क्षेत्र में स्थित साइंस सिटी आधुनिक विज्ञान-प्रौद्योगिकी के बारे में बहुत सुंदर ढ़ंग से जानकारी प्राप्त करने के इस महत्वपूर्ण स्थल में जाना एक अलग संतुष्टि प्रदान करता है। यहां छात्रों को मानव विकास और चिकित्सा विज्ञान के बारे में विस्तृत और सहज जानकारी प्राप्त हो सकती है।
चिड़ियाघर - 71.6 एकड़ के क्षेत्र में 1921 में वेल्स प्रिंस के लखनऊ प्रवास की स्मृति में स्थापित किया गया। इस चिड़ियाघर में रॉयल बंगाल टाइगर, व्हाइट टाइगर, शेर, भडिरूा, पूर्वोत्तर की पहचान हॉर्नबिल पक्षी, गोल्डन तीतर सहित विश्व के अनेक देशों से लाये गये पशु- पक्षियों के लिए प्राकृतिक वातावरण गया है।
मरीन ड्राइव - अंबेडकर पार्क और गोमती नदी के मध्य में स्थित इस पर्यटक स्थल पर हर शाम बहुत बड़ी संख्या में लोग आते हैं। मुंबई की तरह लखनऊ का आकर्षण भी मरीन ड्राइव है। वैसे गोमती नदी में भी नौका विहार की सुविधा उपलब्ध है। पास ही स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति को समर्पित शहीद स्मारक भी है।
बड़ा इमामबाड़ा - 1784 में अवध के नवाब आसफ़-उद-दौला द्वारा निर्मित इस परिसर में एक बड़ी मस्जिद (असफी़ मस्जिद), एक भूल भुलैया और बहता पानी वाली एक बावड़ी शामिल है। दो प्रवेश द्वार हैं जो दुनिया का सबसे बड़ा गुंबददार कक्ष कहे जाने वाले केंद्रीय हाल तक ले जाते हैं।
छोटा इमामबाड़ा - 1838 में अवध के तीसरे नवाब मुहम्मद अली शाह द्वारा निर्मित यह इमामबाड़ा शिया समुदाय के एक मंडली हाल के रूप में बनाया गया परंतु बाद में नवाब की मां की समाधि बन गया। बेल्जियम के झूमर और क्रिस्टल लैंप इसका एक आकर्षण है।
ब्रिटिश रेजिडेंसी - 8वीं सदी की अंतिम तिमाही में निर्मित यह परिसर कभी ब्रिटिश रेजिडेंसी जनरल का निवास स्थान रहा। वर्तमान में खंडहर इस भवन में 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 3,000 से अधिक ब्रिटिश निवासियों को आश्रय दिया था।
रूमी दरवाजा - 1784 में नवाब आसफ-उद-दौला द्वारा निर्मित 60 फीट ऊंचा यह द्वार बड़ा इमामबाड़ा और छोटा इमामबाड़ा के बीच स्थित है। इस्तांबुल के सबलिम पोर्ट की तर्ज पर बने इस भव्य और सुंदर द्वार को तुर्की गेट भी कहा जाता था।
छतर मंजिल - यूरोपीय शैली में छतरी के आकार के गुंबद वाला यह पैलेस कभी नवाबों और उनकी पत्नियों का निवास था।
दिलकुश कोठी - 19वीं शताब्दी के आरंभ में गोमती नदी के तट पर अंग्रेजी बारोक शैली में निर्मित यह भवन नवाबों का शिकार लॉज और ग्रामीण कालीन रिसार्ट था। अब कोठी के नाम पर केवल बाहरी दीवार, मीनार और बगीचे ही शेष है।
हुसैनाबाद घंटाघर - 1881 में लंदन के बिग बेन ब्लॉक टावर की तर्ज पर निर्मित 221 फीट ऊंचा यह घंटाघर रूमी दरवाजा के निकट है। घड़ी पर 12 पंखुड़ियों वाले फूल हैं तो पेंडुलम 14 फीट लंबा है।
जामा मस्जिद - हिंदू और जैन नक्काशी वाली इस मस्जिद का मुख्य आकर्षण विशाल स्तंभ है।
कांन्स्टेटिया हाउस - वर्तमान में यह प्रसिद्ध ला मार्टिनिएर कॉलेज का हिस्सा है। यहां फ्रांसीसी जनरल मेजर क्लॉड मार्टिन की कब्र है, जिसका निर्माण 1785 में आरंभ हुआ।
सतखंडा - अठारहवीं सदी के आरंभ में बना यह घंटाघर अधूरी चार मंजिला संरचना है जिसका निर्माण नवाब मोहम्मद अली शाह ने आरंभ करवाया था। उसकी योजना इसे 7 मंजिला बनाने की थी लेकिन असामयिक देहावसान से काम रूक गया।
फिरंगी महल - कहने को फिरंगी लेकिन मुगलकाल में निर्मित इस्लामी शिक्षा के केंद्र में विश्व के अनेक देशों से छात्र और बुद्धिजीवी आते थे।
कैसरबाग पैलेस - वाजिद अली शाह के काल में निर्मित यह लोकप्रिय स्मारक बहुत आकर्षक है।
मोती महल - गोमती तट पर सआदत अली ने इस महल की बालकनी से पशुओं का युद्ध और उड़ते पक्षियों को देखने के लिए इसे बनवाया था।
लखनऊ की संस्कृति विशेष रूप से खानपान विश्व प्रसिद्ध है। चटोरी गली-मुग़लई खानों के लिए चर्चित इस बाजार में अब हर प्रकार के देशी- विदेशी व्यंजन यहां एक साथ मिलते हैं। तंदूरी चाय, आइसक्रीम, पूर्वांचल के लिट्टी चोखा से पंजाब के पनीर टिक्का, मुंबई की पाव भाजी, राजस्थान के दालबाटी, दक्षिण भारत के सांबर डोसा सहित जो चाहे सब हाजिर हैं। लखनऊ की चर्चा चिकन कढ़ाई, ज़री, हस्तशिल्प, चमड़े का सामान के बिन पूरी नहीं हो सकती। यहां के कुर्ते विश्व प्रसिद्ध हैं तो साड़ियों की भी विशेष मांग है।
परम्परा के साथ आधुनिकता के पर्याय इस नगर में मैट्रो की सवारी का आनंद भी लिया जा सकता है। मिली जुली आबादी वाले लखनऊ में और भी बहुत कुछ है। जब भी मिले मौका, विहार करो गोमती नौका!